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गोड्डा के कुश्ती खिलाड़ी को नहीं मिली मदद

आर्थिक परेशानी से जुझ रहा था परिवार

बेहतर इलाज के अभाव में पहलवान पवन यादव की इलाज के दौरान मौत..!

कुश्ती खिलाड़ी का फाईल फोटो और रोते बिलखते परिजन

– परिजनों ने शासन प्रशासन से लगाई थी इलाज के लिए गुहार

झारखंड, गोड्डा। सरकारी मदद की आस लिए गोड्डा जिला अंतर्गत बसंतराय प्रखंड के पचुआकित्ता गांव निवासी और उभरते हुए पहलवान पवन कुमार यादव जिंदगी का जंग हार गया। मंगलवार सुबह रांची रिम्स में इलाजरत पहलवान पवन यादव ने अंतिम सांस ली। उनकी मौत की खबर सुनकर क्षेत्र में शोक की लहर दौड़ पड़ी। दरअसल राष्ट्रीय कुश्ती प्रतियोगिता के लिए पवन कुमार यादव का चयन झारखंड के गोड्डा जिला की ओर से किया गया था। प्रतियोगिता का आयोजन उत्तर प्रदेश के नोएडा में किया गया था। प्रतियोगिता से पूर्व प्रैक्टिस के दौरान उसकी रीड की हड्डी टूट गई थी।आर्थिक तंगी से जूझ रहे पवन का परिवार बेहतर इलाज कराने की आस लिए पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी में भर्ती कराया। जहां कुछ दिनों तक इलाज होने के बाद उसे कोई भी सरकारी मदद मुहैया नहीं कराई गई। परिवार ने आर्थिक तंगी से तंग आकर बीते एक सप्ताह पूर्व रांची के रिम्स में भर्ती कराया जहां उसका इलाज चल रहा था। बेहतर चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने के लिए पवन के परिजनों ने जिला खेल पदाधिकारी जिला उपायुक्त सह राज्य कुश्ती संघ के अध्यक्ष जीशान कमर और खेल निदेशालय तक अपनी गुहार लगाई लेकिन सिर्फ कागजों पर मदद यहां वहां दौड़ती रही और पहलवान पवन यादव की सांस आखिरकार आज थम गई। बता दें कि पलामू के पिपरा में बीते दिसंबर माह में 25वीं राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में फ्री स्टाइल के 61 किलोग्राम वर्ग में पवन यादव ने कांस्य पदक जीतकर गोड्डा जिले को गौरवान्वित किया था। बीते 30 जनवरी को में ही अभ्यास के दौरान पवन कुमार यादव गंभीर रूप से घायल हो गए थे इलाज के दौरान पता चला था कि रीड की हड्डी टूट गई है। गरीबी और मुफलिसी में जीवन यापन कर रहे परिवार जनों ने स्थानीय स्तर पर इलाज शुरू किया लेकिन स्थिति में कोई सुधार नहीं होता देख बंगाल के शिली गुड़ी फिर 15 फरवरी को रांची स्थित रिम्स में भर्ती कराया गया। इस दौरान परिजनों ने स्थानीय जनप्रतिनिधि सहित जिला खेल पदाधिकारी जिला उपायुक्त और खेल निदेशालय तक मदद की गुहार लगाई लेकिन शासन प्रशासन से जनसेवा की आस बेमानी साबित हुई। अगर शासन प्रशासन और स्थानीय जनप्रतिनिधि के द्वारा संवेदनशीलता दिखाई जाती तो स्थिति कुछ और हो सकती थी। बेहतर इलाज के अभाव में एक होनहार खिलाड़ी ने अंतिम सांस ली। वही घटना से और सभी से आस टूटे जाने से परिवार जनों का रो-रो कर बुरा हाल है।

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